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पद्माक्षी हेमवर्णा मुररिपुदयिता शेवधिः सम्पदां या

The Navratri Puja, for instance, consists of starting a sacred House and accomplishing rituals that honor the divine feminine, that has a target meticulousness and devotion that is definitely believed to convey blessings and prosperity.

सौवर्णे शैलश‍ृङ्गे सुरगणरचिते तत्त्वसोपानयुक्ते ।

साम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोङ्काररूपा ॥१५॥

सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥

नौमीकाराक्षरोद्धारां सारात्सारां परात्पराम् ।

पुष्पाधिवास विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में check here वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

हस्ते पाश-गदादि-शस्त्र-निचयं दीप्तं वहन्तीभिः

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach

हादिः काद्यर्णतत्त्वा सुरपतिवरदा कामराजप्रदिष्टा ।

भर्त्री स्वानुप्रवेशाद्वियदनिलमुखैः पञ्चभूतैः स्वसृष्टैः ।

॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥

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